वर्ष 2030 तक देश में 60% बढ़ेगी प्राकृतिक गैस की खपत

नई दिल्ली। देश में प्राकृतिक गैस की खपत 2030 तक लगभग 60 प्रतिशत वढ़ने की संभावना है। वाहन में सीएनजी, खाना पकाने तथा औद्योगिक उद्देश्यों के लिए गैस ईंधन के उपयोग में वृद्धि की वजह से प्राकृतिक गैस की खपत में उल्लेखनीय वढ़ोतरी का अनुमान है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस विनियामक वोर्ड (पीएनजीआरवी) के एक अध्ययन में यह कहा गया है।

पेट्रोलियम नियामक ने कहा कि प्राकृतिक गैस की खपत 2023-24 में 18.8 करोड़ मानक घन मीटर प्रति दिन से बढ़कर 2030 तक 29.7 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन (यूनिट) तक पहुंचने की उम्मीद है। यह आकलन ‘अच्छे परिदृश्य वने रहने’ यानी वर्तमान मध्यम स्तर की वृद्धि और रुख के आधार पर किया गया है। प्राकृतिक गैस का उपयोग विजली उत्पादन, उर्वरक और वाहनों के लिए सीएनजी और रसोई में पाइन के जरिये गैस (पीएनजी) पहुंचाने के लिए किया जाता है।

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पीएनजीआरवी के अध्ययन के मुताविक, इसी परिदृश्य के तहत 2040 तक इसके 49.6 करोड़ यूनिट तक पहुंचने का अनुमान है। ‘अच्छे से सर्वोत्तम’ परिदृश्य के अंतर्गत 2030 तक खपत 36.5 करोड़ यूनिट और 2040 तक 63 करोड़ यूनिट तक वढ़ सकती है। इस परिदृश्य में तेज प्रगति, अनुकूल नीतियों का क्रियान्वयन और निवेश में वृद्धि को ध्यान में रखा गया है, जिससे वृद्धि को बढ़ावा मिलता है।

दोनों ही परिदृश्यों में, मांग में शहर गैस वितरण (इसमें वाहनों को सीएनजी वेचना और घरेलू रसोई और उद्योगों तक ईंधन पहुंचाना शामिल है) क्षेत्र की
महत्वपूर्ण भूमिका होगी। सरकार का लक्ष्य देश की प्राथमिक ऊर्जा में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा के 6- 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 2030
तक 15 प्रतिशत करना है। गैस को मांग और आपूर्ति में अंतर को पूरा करने वाला ईंधन माना जा रहा है क्योंकि देश 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्वन उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदूषण फैलाने वाले कोयला जैसे जीवाश्म ईंधन की जगह स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा दे रहा है।

पीएनजीआरवी ने हाल के वर्षों में 307 भौगोलिक क्षेत्रों के लिए शहर गैस लाइसेंस दिए है, जो देश के लगभग पूरे हिस्से को कवर करते हैं। अध्ययन में कहा गया, ‘शहर गैस वितरण (सीजीडी) क्षेत्र के वृद्धि को गति देने वाला प्रमुख कारक वनने की उम्मीद है। इसमें वित्त वर्ष 2023- 24 में 3.7 करोड़ यूनिट के आधार से 2030 तक खपत में 2.5 से 3.5 गुना और 2030 तक छह से सात गुना वृद्धि होने का अनुमान है।’

भारत अपनी गैस की आधी मांग आयात के माध्यम से पूरी करता है। मांग वढ़ने के साथ ही तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के आयात में वृद्धि होने का अनुमान है। अध्ययन में कहा गया है कि लंबी दूरी के परिवहन ईंधन के रूप में एलएनजी पासा पलटने वाला सावित हो सकता है। इसमें डीजल की जगह लेने की क्षमता है।

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